Wednesday, October 6, 2010

पटना में जब नहीं मिलेगा पीने का पानी

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गंगा नदी के तट पर बसा पटना शहर के लोगों के जीवन का जलाधार मुख्य रुप से भूजल पर आश्रित है। मुख्य रुप से पटनावासी गहरे नलकूपों से निकाले गये पानी का ही उपयोग करते हैं। 70 के दशक में पटना का भूजल स्तर करीब 8 मीटर दूर था जो अब बढकर 14 मीटर के भी नीचे चला गया है। पिछले पांच सालों में इन आंकड़ों में जबर्दस्त गिरावट दर्ज की गई है। यह निश्चित रुप से पटनावासियों के लिये चिंता का सबब है। सबसे बड़ा सवाल है कि यदि अब भी पटना वासी जल का संरक्षण नहीं करेंगे तो निश्चित तौर पर वह दिन आने वाला है जब पटना में पीने का पानी नहीं मिलेगा।
यह चिंता केंद्रीय भूजल बोर्ड के मध्य पूर्वी क्षेत्रीय कार्यालय के वैज्ञानिकों ने जाहिर की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि पटना नगर निगम के करीब 100 वर्ग किलोमीटर के दायरे में जनसंख्या का घनत्व 13700 व्यक्ति प्रति किलोमीटर है। इस कारण इस क्षेत्र में भूजल का सबसे अधिक दोहन किया जा रहा है। इतिहास पर नजर डालें तो वर्ष 1950 से लेकर वर्ष 1970 के बीच पटना का भूजल स्तर 7.85 मीटर थी, वहीं वर्ष 1970 से लेकर 1990 के बीच यह बढकर 10.25 मीटर हो गई। वर्तमान में यह दूरी 14.1 मीटर को पार कर गई

बिहारी बेताल

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बेताल आज पेड़ पर उलटा लटकने के बजाय बिल्कुल सीधा अपने पैरों पर खड़ा होकर आसमान निहार रहा था। खद्दरधारी बेताल कभी अपनी टोपी(नेताजी वाली) को जमीन पर फ़ेंकता, उसे उठाने जमीन पर उतरता और फ़िर पेड़ की टहनी पर जा खड़ा होता। अंधेरा होने का इंतजार कर रहा बिक्रम उसे घूरे जा रहा था। उससे रहा न गया। वह जा पहूंचा बेताल के पास। बेताल गाये जा रहा था – इब्ने बतूता, पहन के जूता, निकल पड़े तुफ़ान में, थोड़ी हवा नाक में घुस गई, घुस गई थोड़ी कान में, इस बीच निकल पड़ा उन्के पैरों का जूता, उड़ते-ऊरते उनका जूता जा पहूंचा जापान में, इब्ने बतूता खड़े रह गये मोची की दूकान में।

बिक्रम हक्का बक्का रह गया। उसने पूछा कि क्यों भई बेताल, आज भंग पी ली है क्या। बेताल ने कहा – हीं हीं हीं, राजा तुम परले सिरे के मुर्ख हो। देखते नहीं आसमान में कितने इब्ने बतूता चक्कर काट रहे हैं और ये देखो उनका जूता मतलब उनकी टोपी तो मेरे पास है। आने दो इनको तब बतायेंगे कि उड़नखटोले पर चढकर मजे लेना और बिहार के सड़कों पर लखटकिया गाड़ी की सवारी में कितना अंतर है। बिक्रम ने कहा ये कौन सी नई बात कह रहे हो। बिहार की जनता अब सब जानती है। सब के सब नेता एक से बढ्कर एक हैं। देख नहीं रहे कैसे वे एक दूसरे की पगड़ी उछल रहे हैं। जनता भी बेचारी उनकी गुलाटी देखकर खुश हो रही है, तुम्हें क्यों मिर्ची लग रही है। नेता भी खुश और जनता भी, भला तुम क्यों शोर मचा रहे हो। अब जल्दी से मेरे कंधे पर सवार हो जाओ, वर्ना।

बेताल बिदक कर बोला – अबे हट, तेरी तो ऐसी की तैसी। अब मैं बिहार का नागरिक हूं। जानते नहीं यहां सुशासन चलता है, तुम्हारा वाला राज गया, जब तुम जैसे राजा रानी के पेट से पैदा होते थे। अब तो राजा गरीब के झोपड़े से पैदा होता है। अरे मैं तो तुम्हें बताना भूल ही गया। मुझे भी कई दलों ने नेता बनने का आफ़र दिया है। दिल्ली में राज कर रही एक पार्टी ने तो मुझे नेता बनने के लिये हर तरफ़ के आफ़र दिये हैं। सुनोगे तो तुम्हारी आंख फ़ट जायेगी। बिहार में सत्ताधारी पार्टी ने तो मुझे अभी से मंत्री का दर्जा देने का वादा कर दिया है। अब नहीं चाहिये मुझे तुम्हारा कंधा। जरा देखो अपनी पोशाक और मेरी ओर देखो। तुम किसी नौटंकी के किरदार लगते हो और मैं आज के बिहार का नेता। मैं नहीं आने वाला तुम्हारे साथ।

बिक्रम को तो जैसे काठ मार गया हो। उसने देखा कि अब मुंडा बिगड़ गया है। ये सब चुनावी असर है, इसलिये गद्दी बचानी है तो मुझे भी सियासत करनी चाहिये। वर्ना गई भैंस पानी में। उसने बेताल से कहा – मेरे भाई, मेरे कुर्सीदाता, मेरे हम्दम मेरे मेरे दोस्त। मैं भी चुनाव लड़ूंगा, तुम जिस दल से कहोगे मैं उसी दल का झंडा लहराऊंगा। तुम जिस नेता का झोला टांगने को कहोगे, मैं टांगूंगा। अच्छा चलो मैं भी तुमसे वादा करता हूं जब मुझे गद्दी मिल जायेगी तब मैं तुम्हें डिप्टी वाला पद तुम्हें दे दूंगा।

बेताल बोला- अबे जा, जरा अपनी औकात तो देख। कौन बनायेगा तुम्हे अपना झोलटंगवा कार्यकर्ता। हाथ में तलवार, वह भी चुनाव के समय्। अरे भाई हाथ में तलवार लेकर थोड़े न कोई नेता बनता है। जिसके दांत मुंह के बजाय पेट में हो, जिसके पास तलवार के बजाय अदृश्य ए के 56 हों, जो जनता को पीठ में खंजर भोंकने के ब्जाय उनके पीठ सहलाये और फ़िर उनके कमर के नीचे लात मारे, वही नेता बन सकता है। देखा नहीं ई जो नीतीश कुमार है, उ कैसे गुलाटी मारा। पहिले तो सब गरीब के बोला हम भूमि सुधार करेंगे। कल्कत्ता के एक औघड़ को बुलाया। पता नहीं लेकिन हमको लगता है उसको पैसा भी नहीं दिया। इसलिये उस औघड़ ने पूरे बिहार में एक प्रेत छोड़ दिया है। बिक्रम बोला- अरे नही बेताल उ औघड़ नहीं डी बंद्योपध्याय साहब हैं देश के जाने माने भूमि सुधारक्। बेताल बोला- हमको मालूम है, अब मेरा माथा मत घुमाओ। हां तो हम कह रहे थे कि नीतीश कुमार के तो जमीने खत्म हो गया इस बटाईदारी के कारण। बेचारे ने सोचा था कि बटाईदारी लायेंगे, गरीबों को खुश करेंगे और मजे से लालू राबड़ी की तरह 15 साल तक राज भोगेंगे। लेकिन हुआ क्या। बिक्रम ने कहा – क्या हुआ नीतीश कुमार को?

बेताल बोला- तुमको दिखाई नहीं देता, उतना देर से हम आसमान की ओर क्यों देख रहे थे। अरे हम तो ऊ नीतीश कुमार को खोज रहे हैं। उसने एलान किया है वह चुनाव प्रचार करने हेलीकाप्टर से जायेगा। एसी गाड़ी में घुमेगा, खूब मुर्गा भात खायेगा और गरीबों के साथ गरीब बनने के लिये गांव में रहने का अभिनय करेगा। अभी तुम रुको। अभी मेरा समय नहीं हुआ है। जब समय हो तब आना। अभी तो हमको कुछ और भी नजर आ रहा है। अभी जाओ

Wednesday, October 7, 2009

खगडिया नरसंहार पर नीतीश बोल रहे हैं सफेद झुठ

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने हालिया बयान में कहा है कि खगडिया जिले के अलौली प्रखंड के अमौसी गांव में दिनांक 2 अक्टूबर 2009 को घटित घटना के पीछे गुंडों का हाथ था। जबकि लगभग पटना से प्रकाषित सभी समाचार पत्रों में यह जगजाहिर हो चुका है कि उक्त नरसंहार में गुंडों का हाथ नहीं है बल्कि यह एक सोची समझी साजिष है। इसके अलावा यह भी महत्वपूर्ण है कि राज्य सरकार के मुखिया स्वयं इस घटना के कारण आहत हैं। इनके आहत होने के कई कारण हैं। पहला कारण तो यह कि यह घटना इनके अपराध पर नियंत्रण के दावे को खारिज करता है। दूसरा यह कि इस घटना में मारे गये सभी लोग कुर्मी एवं कोईरी जाति के थे। यहां यह उल्लेखित करना आवष्यक है कि वर्तमान में बिहार में इन दोनों जातियों को सरकारी जाति के उपनाम से पुकारा जाता है। तीसरा सबसे अहम कारण यह है कि अबतक जो तथ्य सामने आ रहे हैं उनमें हमलावरों के महादलित होने की बात कही जा रही है।इन तथ्यों के अलावा यह भी एक महत्वपूर्ण है कि पिछले विधानसभा उपचुनाव में भूमि सुधार के कारण राजद-लोजपा गठबंधन के हाथों करारी षिकस्त खाने वाली राज्य सरकार किसी प्रकार भूमि सुधार के पूरे मामले को रफा दफा करना चाहती थी। यही कारण रहा कि उपचुनाव में हार के बाद जहां नीतीष कुमार की सहयोगी भाजपा के नेताओं ने इस मामले में विद्रोह का रूख अपना लिया था। खगडिया में घटी घटना के बाद यह स्पश्ठ हो गया है कि इस घटना की पृश्ठभाूमि भी भूमि सुधार ही रहा है।इसके अलावा अमौसी नरसंहार की बात करें तो सबसे पहले यह जानना आवष्यक है कि अमौसी गांव में मुख्य रूप से मांझी समुदाय के लोग रहते हैं। खगडिया जिले के अलौली प्रखंड के आनंदपुर मारण पंचायत के इस गांव में आने जाने का मार्ग काफी दुर्गम है। लोगों के लिए नाव ही एकमात्र सहारा है। इसके अलावा इस गांव के रकबा (गांव की कुल भूमि) में करीब 92 प्रतिषत भाग पर पडोस के गांव के लोगों का कब्जा है। इन्हीं पडोस गांवों में एक गांव इचरूआ भी है जहां के निवासियों की अधिकांष खेत अमौसी गांव में हैं। अमौसी गांव के लोगों ने बताया कि इचरूआ में मुख्य रूप से कुर्मी रहते हैं जो प्रारंभ से ही उनसे खेतों में जबरन मजदूरी कराते थे। अमौसी गांव के एक वृद्ध सहेंद्र सदा ने बताया कि करीब 30-35 साल पहले भूदान के तहत इन लोगों को जमीन देने का वायदा किया गया था। इस संबंध में उस समय खेतों की पैमाईष(माप) भी की जा चुकी है तथा खाता संख्या 2 के खेसरा संख्या 1540 के तहत करीब 70 बीघा जमीन अमौसी गांव के 130 महादलित परिवारों में वितरित किया जा चुका है और इसके पर्चे भी इन्हें दिये जा चुके हैं। लेकिन इसके बावजूद इचरूआ गांव के लोगों ने अमौसी के महादलितों को जमीन पर कब्जा नहीं करने दिया। जब गांव वालों का प्रतिरोध बढा तो इचरूआ गांव के लोगों ने अपने घर से दूर जाकर अमौसी में ही अस्थायी झोपडी बना लिया। इन झोपडियों में ये अपने मवेषी रखते थे। अमौसी गांव में षौचालय की व्यवस्था नहीं होने के कारण जब महिलायें रात में अथवा भोर में बाहर जाती थीं तो उन्हें कई बार अपमानित भी होना पडता था। इस संबंध में एक बलात्कार का प्रयास करने संबंधी मामला भी स्थानीय अलौली थाना में दर्ज किया जा चुका है।हांलाकि अमौसी गांव के लोग स्वयं को बेकसुर बताते हुए कहते हैं कि इचरूआ गांव की तुलना में उन लोगों की संख्या महज एक तिहाई है तथा इचरूआ के घर-घर में दोनाली है। इस परिस्थिति में हम निर्बल उनका हिंसात्मक प्रतिकार कैसे करते हैं। गांव वालों के इस कथन की सत्यता अथवा असत्यता जांच का विशय है परंतु एक बात जो इनके पक्ष में जा रही है, वह है नरसंहार के मुख्य आरोपी ओपी महतो उर्फ उपेंद्र महतो जो स्वयं कुर्मी हैं। एक सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि इनके एक परिजन दिनांक 4 अक्टूबर को मुख्यमंत्री से मिलने आये इचरूआ गांव के निवासियों में षामिल थे।अलौली के भिखारी घाट के एक निवासी ने बताया कि यदि वर्तमान में नीतीष कुमार की जगह कोई और मुख्यमंत्री होता तो अबतक अमौसी गांव को लाष के पाट दिया गया होता। इसका कारण बताते हुए ये कहते हैं कि मुख्यमंत्री ने महादलित की राजनीति की दुहाई देकर फिलहाल इस मामले को दबा दिया है। हांलाकि मुख्यमंत्री स्वयं इस बात को जानते थे कि इचरूआ के कुर्मी काफी सबल हैं और यही कारण रहा कि घटना का मुआयना करने के लिए इन्होंने अपने नायब सिपालसलार उपमुख्यमंत्री सुषील कुमार मोदी को भेजा।असल में मुख्यमंत्री नीतीष कुमार पूरे मामले को छिपाने का असफल प्रयास कर रहे हैं। इनकी पूरी कोषिष है कि भूमि विवाद के मामले को दबा दिया जाये ताकि बिहार के सवर्ण एवं सामंती मतों पर इनका खोया अधिपत्य वापस मिल सके। जबकि इनके मुख्य विपक्षी राजद-लोजपा भी कुर्मी और भूमि सुधार के मामले पर केवल मृतकों परिजनों के लिए मुआवजा की मांग कर घडियाली आंसू बहा रहे हैं।

Monday, September 7, 2009

प्रभास जोशी जी के नाम दूसरा खुला पत्र

परम आदरणीय प्रभास जोशी जी,
सादर प्रणाम,

बिहार के कुछ विधानसभा क्षेत्रों में इन दिनों उपचुनाव का माहौल है। इस कारण 5 सितंबर यानि शिक्षक दिवस के अवसर पर आपकी वंदना नहीं कर सका। इसका मुझे दुख है और मैं क्षमाप्रार्थी हूँ। परंतु मेरी भी एक मजबूरी थी। मजबूरी यह थी कि आपके इस एकलव्य ने जिस मिट्टी से आपकी मूर्ति बनायी थी, ठीक शिक्षक दिवस के अवसर पर ही उसी मिट्टी ने विद्रोह कर दिया। इसका फौरी परिणाम यह हुआ कि मेरे द्रोणाचार्य यानि आपकी प्रतिमा खंडित हो गयी। परिणामस्वरूप मैंने एक नयी ऐसी मिट्टी का जुगाड कर लिया है ताकि आपकी एक नयी प्रतिमा का निर्माण कर सकूं जोें आपके नये स्वरूप से विद्रोह न कर सके। मैं जानता हूँ आप जिस ऊंचाई पर बैठे हैं वहां से इस एकलव्य की तपस्या तो दिखेगी नहीं वरन् हम एकलव्यों की मूढता, अज्ञानता, अपसंस्कृति और रूदन अवष्य दिखती है।इस तथ्य को यों भी समझा जा सकता है कि जो व्यक्ति जितनी ऊंचाई पर बैठा होता है उसके नीचे वाला उसे छोटा ही दिखाई देता है। यही कारण रहा कि बृहद्रथ राजा होने के बावजूद पुश्यमित्र शंुग की उंचाई को भांप न सका और अंततः मारा गया। पहले आप मुझे द्रोणाचार्य सरीखे लगते थे परंतु अब मुझे पक्का यकीन हो गया है कि आज के पुश्यमित्र शुंग है जिसके हथियार में वही वैदिक पैनापन है जो हम शूद्रों का समूल नाश करने की योग्यता रखता है। प्रमोद रंजन जी की आलोचना करते हुए आपने उन्हें नये अलंकारों से अलंकृत किया है। आपके इन अलंकारों ने यह साबित कर दिया है कि आप अब हम दलितों और पिछडों की तेज हो रही आवाज के प्रति गंभीर हो गये हैं। यही कारण है कि बजाय शूद्रों द्वारा उठाये गये सवाल के बदले आपने अपने मित्रधर्म को ज्यादा प्रमुखता दी है। इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि आप अब बहस से भागने लगे हैं। आप और बहस एवं बहस और जागृति सभी एक दूसरे के पर्याय हैं। जबसे मैने अपनी आंखों से इस समाज को देखना शुरू किया, तभी कोई उपाध्याय, कोई श्रीवास्तव, कोई नारायण और कोई किसी पांडेय ने मुझे यह अहसास करा दिया कि हे एकलव्य तुम महाभारत काल के एकलव्य नहीं बल्कि आज के बाजारू ब्राहम्णवाद के नये प्यादे हो। मैंने भी आपके इसी बाजारू ब्राहम्णवाद के सिद्धांत को हथियार बनाकर लडने की कोशिश की। खैर मैं बात कर रहा था आप और बहस की तो आप और बहस दोनों ही जरूरी हैं हम जैसे एकलव्यों के लिए। क्योंकि आप जितने मुद्दों को जन्म देते हैं उससे हमारा ही भला होता है।कई मौकों पर मुझे इस बात का अहसास हुआ कि खबरें और विज्ञापन दोनों दो चीजें नहीं बल्कि एक ही चीज है। जिसका विज्ञापन उसकी खबरें। आप गौर फरमायेंगे तो आजकल अखबारों में विज्ञापन या तो बडे उद्योगपति/व्यवसायी देते हैं या फिर जनता के पैसे के बल पर अपनी ईमानदारी को चैक-चैराहों पर नीलाम करने वाले सत्ताधारी दल। कोई भी आम व्यक्ति विज्ञापन क्यों देगा जो उसकी खबर लगेगी। आपको स्मरण होगा कि बिहार में लालू राज जिसे आप जैसे द्रोणाचार्यों ने जंगलराज साबित किया था। उन दिनों यदि राज्य के किसी भी हिस्से में किसी महिला का कत्ल होता था या बलात्कार होता था तब वह प्रथम पृश्ठ की खबर बनती थी। हम एकलव्यों को उस वक्त भी कोई हैरानी नहीं होती थी और आज भी नहीं होती है जब ऐसी घटनायें सरेआम घटती हैं और उन्हें अखबार के प्रथम पृश्ठ क्या अखबार में एक इंच भी जगह नहीं मिलती है।आपने जिस प्रभात खबर के बारे में कसीदे पढे हैं उसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ। पिछले कुछ दिनों पहले इस अखबार में बिहार में जो दिखा शीर्शक से कुछ आलेख पढने को मिले। इन आलेखों के रचनाकारों के नाम से ही स्पश्ट हो जाता है कि ये आपके कौरव और पांडवों के वंषज हैं। खैर एक कौरव अथवा पांडव ने लिखा कि बिहार में सडकों की स्थिति में व्यापक सुधार हुआ है। अपनी बात साबित करने के लिए लेखक ने कई आंकडे भी दर्षाये हैं। मैं इस बात को इसलिए लिख रहा हूँ क्योंकि मैंने इन दावों को झुठलाने वाले तथ्यों के साथ एक आलेख प्रभात खबर के समाचार समन्वयक को दिया। देना तो मैं आपके पांडव यानि स्वयंप्रकाष को चाहता था । प्रभात खबर के कार्यालय पहुंचा तो खबर मिली कि वे सम्मानित होने मारीषस गये हैं। खैर आपके पसंदीदा अखबार के समाचार समन्वयक ने मेरे आलेख को अभी तक इस काबिल नहीं माना है कि वह प्रभात खबर के किसी पृश्ठ पर जगह पा सके।खैर आज के नीतीष कुमार के षासन को आप सभी दिल से सराह रहे हैं क्योंकि आप जैसे सवर्णों का इसमें अहम योगदान है। इसके लिए आप आलोचना के नहीं बल्कि बधाई के पात्र हैं क्योंकि 15 वर्शों से लालू नामक एक मसखरे (इस मिट्टी के लाल को यही नाम दिया है बिहार के सवर्णों ने) ने सत्ता के गलियारे से दूर रखा। आज जब कुर्मी को ताज और भूमिहार को राज मिला है तो भूमिहारों के साथ जुगलबंदी करने वाले पत्रकारिता जगत में कुंडली मार कर बैठे सवर्णों को तो बिना मांगे ही सब कुछ मिल गया। उत्तरप्रदेष में मायावती सत्ता लोभ में वह कर बैठी हैं जिसका अंदेषा भी किसी षूद्र को नहीं था। इसके अलावा अमर सिंह की छत्रछाया में मुलायम सिंह यादव का षूद्र प्रेम भी दम तोड रहा है। यानि हर जगह आपके ब्राहम्णवादी व्यवस्था मजबूत हो रही है। ऐसे में आप षंखनाद करेंगे ही। हम षूद्र तो बस अपने लालू, नीतीष, रामविलास, मायावती और मुलायम की मूढता पर अफसोस ही कर सकते हैं।आपने एक प्रमोद रंजन को नयनसुख नहीं कहा है बल्कि हम स्वीकार करते हैं कि हम सभी एकलव्य नयनसुख ही हैं। क्योंकि हमारे पास न तो कोई द्रोणाचार्य है और न आज का प्रभाश जोषी जो हमारे चक्षुओं में ज्ञान की ज्योति डाल सके। इसके लिए केवल आप ही जिम्मेवार नहीं है बल्कि हमारे षुक्राचार्यों का भी भरपूर योगदान है। आपके द्वारा प्रमोद रंजन की आलोचना सकारात्मक है अथवा नकारात्मक इसका सत्यापन करना अभी समयानुकूल नहीं है।आपसे विनम्र प्रार्थना है कि हम शूद्रों के बारे में अपनी टिप्पणी जारी रखें ताकि हम जैसे एकलव्य शतांश ही सही सीखते तो रहें।

आपका एकलव्य
नवल किशोर कुमार
ब्रह्मपुर, फुलवाशरीफ, पटना-801505

Monday, August 31, 2009

प्रभास जोशी जी के नाम खुला पत्र

आदरणीय जोशी जी,
सादर प्रणाम,

सविनय निवेदन है कि आपकी महानता को शत प्रतिशत प्रकट करने में सक्षम कोई शब्द इस समय मेरे मानस पटल पर अंकित नहीं हो पा रहा है। इस समय मेरी सबसे बड़ी समस्या यह है कि मेरी लेखनी और मेरा मस्तिष्क दोनों सीमायें तोड़ देना चाहते हैं। युं लग रहा है मानों मेरे अंदर आहर(पईन) रुपी मस्तिष्क के दोनों किनारे आपकी महानता के प्रवाह के आवेग से टूटते से जा रहे हैं। मेरे रगों में उबाल मुझे आपकी महानता पर स्वयं को बलिदान करने हेतु प्रेरित कर रहा है। मेरे शरीर का कतरा-कतरा आपके "कोरे कारद" पर फ़ैल कर उसे अपनी सार्थकता साबित करना चाहते हैं।
मैं जानता हूं कि मेरे लहू का एक कतरा भी आपके ब्राहमणत्व को सर्वश्रेष्ठ साबित नहीं करने में सफ़ल नहीं हो सकता क्योंकि आपके शरीर के अंदर जो रक्त है वह हम शूद्रों के रक्त से पृ्थक है। मुझे उस कबीर पर दया आ रही है जिसने कभी यह कहने की गुस्ताख़ी की थी कि-
तुम कत ब्राहम्ण हम कत शुद, हम कत लोहू तुम कत दूध ।
जो तुम ब्राहम्ण-ब्राहम्णी जाया, फ़िर आन बाट काहे नहीं आया॥
असल में वह कबीर भी मेरी तरह या फ़िर आम्बेदकर या आज के राजेंद्र यादव की तरह कोई सिरफ़िरा था जिसके सर पर कुछ कर गुजरने की धुन सवार था। बिना यह सोचे कि पुष्यमित्र शुंग आस्तिन का सांप है और आज जो हम इसे दूध पिला रहे हैं वह इसका थोड़ा भी मूल्य चुकाने की इच्छा रख़ता है। इतिहास साक्षी है कि आजादी देश के बाहम्णों को मिली क्योंकि आज तक देश पर शासन तो इन्हीं ब्राहम्णों को ही मिली है। हमारे नेता तो बस कभी नेहरु की जयकार या इन्दिरा की वंदना और अब सोनिया गांधी का वरदहस्त पाने के आस में आरती गान कर रहे हैं। हमारी इस स्थिति के लिये न तो आप जिम्मेवार हैं और न ही आपका ब्राहमणत्व। इसके लिये हम खुद ही जिम्मेवार हैं।
खैर आप, आपका क्रिकेट और आपकी महिला पाठक (जिसका जिक्र आपने रविवार डाट कौम पर प्रकाशित साक्षात्कार में किया है) तीनों अतुलनीय हैं। देश में महंगाई हो, बाढ हो, आतंकवाद से भारत माता का कलेजा छलनी हो जाता हो, आपका और इन्डिया का क्रिकेट दोनों देश में घटित किसी भी अन्य महत्वपूर्ण घटना से अधिक महत्वपूर्ण है। तभी तो दूरदर्शन भी क्रिकेट मैचों के सीधा प्रसारण के लिये एक दिन में अरबों तक खर्च करने को तैयार हो जाता है। यह सब आपके ब्राहमणत्व का परिणाम है क्योंकि हम शूद्रो का शूद्र्त्व कभी भी नून रोटी को छोड़ किसी अन्य वस्तु अथवा विषयों के बारे में सोचने की इजाजत भी नहीं देता। आखिर हम ठहरे भी तो निरे शूद्र।
आप का क्रिकेट प्रेम हमारे लिये प्रेरणाश्रोत है परंतु हम करें भी तो क्या करें कहीं हमारे घर में बिजली नहीं है तो कहीं टेलीविजन नहीं है। कहीं टेलीविजन है भी तो आपका क्रिकेटिया विजन नहीं है। हमें तो धोनी भी उतना ही अच्छा लगता है जितना कि सचिन तेंदुलकर्। हम तो जानते भी नहीं थे कि गावस्कर और तेंदुलकर भारतीय न हो पहले ब्राहम्ण हैं। हम तो बस इतना जानते हैं कि आपके क्रिकेट मैच की बराबरी नहीं कर सकते क्योंकि आप इन्टर्नेशनल पिचों पर खेलकर देश का नाम बढाते हैं जबकि हम पूरा बचपन गिल्ली डंडा के सहारे बीता कर जवानी में सारी उम आपकी बेगारी कर सकते हैं। आपके क्रिकेटिया मैच में वह चाहे इन्डिया जीते या हारे हार तो हम भारत वंशियों की ही होती है।
आपने क्रिकेट प्रेम के सहारे मीडिया जगत में एक ऐसी लकीर खिंच दिया है जिसे पार करना न हमारे वश में है और न ही पार करने की इच्छा ही है। आपके वेदों ने हमें बताया है कि हम शूद्र एकलव्य तो हो सकते हैं लेकिन अर्जुन नहीं हो सकते हैं। आपके द्वारा 5000 साल पहले स्थापित सच आज भी भारतीय खेलों मे जिंदा है अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार के रुप में, जबकि सभी यह मान्ते हैं कि अर्जुन कितने बड़े धनुर्धारी थे और आप जैसे द्रोणाचार्य कितने मेधावी। मौका मिले तो पटना युनिवर्सिटी अवश्य घूमें आपको थोक के भाव में द्रोणाचार्य मिल ही जायेंगे।
आप्ने सही कहा है कि ब्राह्म्ण सर्वश्रेष्ठ है क्योंकि हमारे नेता कभी भी अटल बिहारी वाजपेयी हो सकते हैं परंतु हमारे नेता लंपट लालू से ज्यादा अधिक नहीं हो सकते।
लिखने को बहुत कुछ है लेकिन आपके ब्राहम्णत्व के समय का अधिक हिस्सा लेकर मैं पूण्य का हकदार नहीं बनना चाहता क्योंकि आप महान, आपका क्रिकेट महान और आपका ब्राह्म्णत्व महान है क्योंकि हम शूद्र हैं।

आपका एकलव्य


नवल किशोर कुमार
ब्रहम्पुर, फुलवारी शरीफ़, पटना-801505
मो-9304295773

Monday, August 24, 2009

यादव प्रतिभा सम्मान आयोजित

यादव जी कहिन - कल दिनांक 23 अगस्त 2009 को पटना के विधायक क्लब हाल मे यादव समाज के प्रतिभावान बच्चों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर वक्ताओं ने वर्तमान राजनीति मे यादवों की भुमिका पर अपनी बात रखा। अधिकांश वक्ताओं (जो नीतिश के दलाल थे ) ने यादवों को कुर्मी कम भुमिहार अधिक नीतिश कुमार के शरण में चले आने आहवान किया।
पटना के पूर्व मेयर श्याम बाबू राय इस पूरे अवसर पर खिन्न दिख़े। इनके अलावा डा राम आशीष सिंह भी नीतिश के दलालों की बात से असहमत दिखे।

Sunday, August 2, 2009

अब और कितने आयोग बनायेंगे नीतीश जी

यादव जी कहिन - अपने 4 साल के मुख्यमंत्रित्व काल में आपने जमीन पर कुछ किया हो या नहीं लेकिन एक काम आपने बहुत जोर शोर से किया है और यह काम है आयोग बनाने का। पावर में आते ही आपने बिहार की वित्तीय व्यवस्था पर श्वेत पत्र जारी किया ताकि दुनिया ये जान सके कि पहले वाली सरकार( जिसे आप जंगलराज कह्ते थे ) ने बिहार को किस तरह बदहाल किया। खैर पहले वाली सरकार तो अपने चमचों और बेलचों के कारण आज अपने न्युनतम स्तर को प्राप्त कर चुकी है परंतु आपने आयोगों का जाल बना दिया। पहले डी बंध्योपध्याय की अध्यक्षता मे भूमि सुधार आयोग, मुच्कुंद दूबे की अध्यक्षता में समान स्कूल प्रणाली आयोग, महादलित आयोग आदि आयोगों के माध्यम से आपने हम बिहार वासियों को यह कहकर ठगते रहे कि सरकार इन आयोगों के अनुशंसाओं को अमल में लायेगी।
परंतु न तो वी एस दूबे वाली प्रशासनिक सुधार आयोग द्वारा की गयी अनुशंसाओं को आपने लागू किया और न ही डी बंध्योपध्याय वाली भूमि सुधार आयोग के अनुशंसाओं को। पहले की सरकारों और आप की सरकार में सबसे बड़ा फ़र्क यह है कि पहले कोई भी रिपोर्ट विधान मंडल मे रख़ी जाती थी, विचार विमर्श किया जाता था और आपने तो हिटलर को भी हरा दिया। न तो कोई रिपोर्ट सदन में रख़ा जाता है और न ही कोई विचार विमर्श किया जाता है। डी बंध्योपध्याय की रिपोर्ट को आपने अधुरी रिपोर्ट की संग्या दी। बिहार की जनता यह जानना चाहती है कि क्या राज्य सरकार को पहले से पता नहीं था कि बंध्योपध्याय काबिल नहीं काहिल हैं? करोड़ों रुपये ख़र्च होने के बाद जब रिपोर्ट बनी और लागू करने की बात आयी तो मुंह चिहाड़ के हंस रहे हैं और कह रहे हैं कि रिपोर्ट अधुरी है सो लागू नहीं किया जा सकता। आपको यह बताना चाहिये कि बंध्योपध्याय आयोग पर कितने पैसे ख़र्च हुए और जब रिपोर्ट ही अधुरी तो उन पैसों की भरपाई कौन करेगा।
पिछले साल बाढ आयी आपने कोसी जांच आयोग बना दिया। इस साल बाढ आयी आपने फ़िर से जांच आयोग बना दिया। असल में आपको काम करने का मन ही नहीं है इसलिये केवल बहाना बनाते रह्ते हैं। आपको शर्म आती भी है या नहीं। हम लोग मरते हैं और आप आयोग बनाते हैं। अख़बारों में मुंह चिहाड़ के हंसते हैं। धन्य हैं आप। वाकई आप बिहार के महानतम सपूतों में से एक हैं।

Friday, July 31, 2009

नीतिश के शब्दों का मायाजाल



यादव जी कहिन - बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार एक नेता ही नहीं शब्दों के अच्छे ज्ञाता भी हैं। इससे भी बढ़कर ये एक अच्छे सामंत भी हैं। पहले जब गाँधी जी ने अछूतों को हरिजन कहा तो बाबा साहेब ने इसका कडा विरोध किया था। बाबा साहेब ने कहा था कि अछूत हरि के जन नहीं बल्कि अपने माँ बाप के जन हैं। अपने जीवन काल में ही बाबा साहेब ने हरिजन शब्द को संबिधान से हटा दिया। खैर अब तो जमाना ही बदल गया है। एक बैकवर्ड नीतिश कुमार फारवर्ड्स की चमचागिरी में बैकवर्ड समाज को कई टुकडो में बांटकर राजनीति कर रहे हैं। सबसे बड़ी बात है कि हमारे अपने ही समाज के कुछ लोग (जिसमे एक श्याम रजक नामक नेता भी शामिल है ) नीतिश के मायाजाल के ख़ुद तो शिकार बन ही रहे हैं और बैकवर्ड समाज को भी शिकार बनाने में जयचंद की भूमिका निभा रहे हैं। और नीतिश ने दलित को दौलतमंद तो नही मह्दलित की संज्ञा देकर अपनी कुर्मिगिरी का साबुत दे ही दिया है।

एक विखायक का गरीब प्रेम

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यादवजी कहिन - यह तस्वीर एक पूर्व विधायक द्वारा दिया गया दरिद्रनारायण भोज की है। सनद है कि जिस विधायक ने साल में एक दिन यह भोज दिया वह स्वयं को इन गरीबों का मसीहा कहता है और फ़िर पुरे साल इस भोज के नाम पर भाषण बाजी करता फिरता है। परंतु भूख से बिलबिलाते इन गरीबो को कौन समझाए जिन्हें भूख के लिए हाथ फैलाना तो आता है लेकिन अधिकार छिनना नहीं।

Friday, July 24, 2009

बिहार में यही होता है

कभी कभी मुझे बहुत गर्व महसूस होता है जब मैं दिल्ली और कोलकाता जैसे शहरों में जाता हूँ और स्त्री और पुरूष के मध्य अंतर को बिल्कुल ख़त्म पाता हूँ जबकि मेरे बिहार में अभी यह स्थिति नही है। हांलाकि आज की राजनीति में सत्तासीन कई नेता आए दिन बंद कमरे में अपने पुरुषत्व का नंगा नाच दिखाते हैं। इसके आलावा चिरियाघर में युवा जोड़े प्रेमालिंगन में लिप्त खुलेआम लिप्त रहते है। कल एक महिला को कुछ लोगो ने बीच सड़क नंगा कर दिया। मालूम हुआ कि जिस लड़की के साथ यह घटना हुई वह स्वयं कालगर्ल है। मेरा मन भन्ना उठा। परंतु पुरी बात जानने की ललक ने मुझे घटनास्थल पर जाने को मजबूर किया ।
जब मैं वहां पहुंचा तब मैंने देखा वह लड़की नग्न नही थी सो मुझे अपनी आमखो को बंद नही करना पड़ा। कुछ लोग उस लड़की को भला बूरा कह रहे थे तो कोई उसके स्तन को दबाकर उसे परेशान कर रहा था। बड़ी विचित्र स्थिति थी। मेरा मन क्रोधित हो रहा था परंतु इस वजह से कि मैं पत्रकार हूँ कोई पुलिस वाला नही मैं खामोश रह गया। मुझे विश्वास है जो मैं सोच रहा था वह अधिकांश लोग सोच रहे थे। परन्तु न तो मैंने या फ़िर पुलिस ने लड़की को छेड़ रहे लोगो को मना किया। मैं भी उस लड़की को बेईज्ज़ती का मजा ले रहा था। लोगो के द्वारा किया जरा एक महिला का अपमान देखने और सुनाने का अपना ही मजा है। मैं देख रहा था और अपने कलम को पाकेट को हवाले कर लौट गया।
जब रात को घर पहुंचा और सोने के लिए बिछावन पर लेता मेरी आंखों ने मेरा साथ नही दिया। मैंने आज वह किया जो मैंने कभी नही किया था। लेकिन अब नही करूंगा यह मेरा वादा है आपसे।

Monday, July 20, 2009

दलित के बदले महादलित

यादव जी कहिन बिहार के राजनीतिक वातावरण में आज कल फेर बदल की प्रक्रिया तेज होती नजर आ रही है। एक ब्राम्हण मंत्री को भाजपा का अध्यक्ष बनाया जा सकता है और एक भूमिहार अथवा राजपूत को उसके बदले लाया जा सकता है। खास ख़बर यह है कि एक दलित मंत्री जो जाति के दुसाध है उन्हें हटाकर एक राजद के पूर्व महादलित मंत्री को जगह दिया जा सकता है। विशेष खुलासा कल

Saturday, July 18, 2009

लालू की हार का परिणाम - पार्ट 1


यादव जी कहिन - लोकसभा चुनाव २००९ में बिहार के यादवो और अन्य पिछडी जाति के लोगो ने कुर्मी सह भूमिहार मुख्यमंत्री नीतिश कुमार कुमार के झूठे सब्जबाग के चक्कर में आकर लालू को हरा दिया। बहुत सारे यादवो में मजरौथ और किस्नौत को लेकर भ्रम फैलाया गया। खैर जो होना था सो हो गया। अब जो होने वाला है उस पर ध्यान देना अति आवश्यक है क्योंकि कांग्रेस सरकार ने यादवो को ओबीसी से बाहर करने का फैसला कर लिया है। अब वह दिन दूर नही जब हम यादवो को आरक्षण का लाभ नही मिल सकेगा। क्या हम इसे स्वीकार करेगे ? नही, तो शिक्षित बनिए संगठित बनिए और संघर्ष कीजिये क्योंकि लालू को हराने ने नीतिश की सहायता कर पहले ही बहुत बरी भूल कर चुके हैं। यकी न आए तो दिनांक १९ जुलाइ २००९ को नई दुनिया में प्रकाशित इस ख़बर को पढ़े।


Friday, July 17, 2009

गरीबो को ठगने का और तरीका


यादव जी कहिन - नीतिश कुमार के पास गरीबो को ठगने के अनेको उपाय हैं। अभी कुछ दिन पहले ही राज्य सरकार ने घोषणा किया था कि प्रत्येक महादलित को ४ डिसमिल जमीन दिया जाएगा। इसके लिए सरकार जमीन खरीदेगी। कल बिहार विधान सभा में उपमुख्यमंत्री ने कहा है कि अब सरकार महादलितों को जमीन न देकर ५०००० रुपये देगी। यह सामान्य बात है कि जब हमारे घर में अनाज होता है तो हम उसे बाजार से नही खरीदते। बद्योपाध्याय कमिटी ने स्वीकार किया है कि राज्य सरकार के पास इतना गैर मजरुआ जमीन है कि यदि इच्छा शक्ति हो तो बिना ख़रीदे ही भूमिहीनों को जमीन दिया जा सकता है। इस परिस्थिति में मोदी के बयान को झूठ कहना या ठगने का एक और तरीका नही कहा जाए तो क्या कहा जाए।

Thursday, July 16, 2009

बिहार में आपका स्वागत है कलाम सर

यादव जी कहीन - अच्छा लगता है जब आप बिहार आते हैं। हर बार आप हमारे राज्य के विकास के बारे में राज्य सरकार को सीख देते हैं और हर बार राज्य सरकार अखबारों में अपना चेहरा चमकने के लिए अपनी खामियों को आपके धवल चेहरे से छुपाने का प्रयास करती है। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है। आपके आने के एक दिन पहले चित्कोहरा गोलंबर पर कुछ मज़दूर सड़क की सफाई कर रहे थे जो आए दिन नही करते। यह स्थिति सिर्फ़ सड़को की ही नही बल्कि पुरे राज्य की है। पुरा सूबा सूखे की चपेट में है। केवल पटना के शहरी क्षेत्र में बिजली कुछ ठीक ठाक है जबकि अन्य जिलो में बिजली की उपलब्धता पर राज्य सरकार अपना पीठ तो थपथपा सकती है परन्तु हम बिहार के लोग आंसू ही बहा सकते है।
आप हमारे राज्य में आते है अच्छा लगता है। भले ही नीतिश कुमार कुछ सीखे या न सीखे हम बिहार के नौजवान अवश्य सीख रहे है। समय आएगा तो हम बिहार को आपके सपनो का बिहार अवश्य बनायेंगे।

Wednesday, July 15, 2009

धरा रह गया नीतीश का यादवो को धुल चटाने का सपना

यादव जी कहिन - विधान परिषद के स्थानीय निकायों के हुए चुनाव परिणामों ने नीतीश का यादवो को धुल चटाने के सपने को चूर कर दिया है। वैध मतों को अवैध घोषित कर कई कुर्मी डीएम ने राजधर्म का निर्वाहन तो किया परंतु नैतिक और संवैधानिक धर्म को ताक पर रख कर जदयु प्रत्याशियों को जीता दिया। असल में देख़ा जाये तो इसमे कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि बिहार में जात सबको प्यारा होता है।
हमें शर्म आना चाहिये कि हमारे समाज ने स्वयं को शिक्षित नहीं किया और लालू यादव ने भी यादवों को केवल कार्यकर्ता बनाकर रख़ दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि हम क्लर्क या चपरासी तो बन गये परंतु आई0ए0एस0 नहीं बने। इसलिये शिक्षित बनो, संगठित बनो और संघर्ष करो। इसी में यादव समाज का भला है।

भूमि सुधार बना दिवा स्वप्न - नवल किशोर कुमार (इस विशेष पृष्ठ को पढ़ने के लिए क्लिक करे)




यादवो ने दिखाया दम

यादव जी कहिन- बिहार विधान परिषद् के स्थानीय प्राधिकार चुनाव के नतीजो ने स्पष्ट कर दिया है कि बिहार के यादवो ने अपना दम दिखा दिया है। पहले यह अनुमान लगाया जा रहा था कि जदयु और बीजेपी क्लीन स्वीप कर लेगी परंतु ऐसा नही हुआ। राजद - लोजपा ने नीतिश को उनके घर यानी नालंदा में हरा दिया। यहाँ से लोजपा प्रत्याशी राजू यादव विजयी रहे। उल्लेखनीय है कि राजू यादव को नीतिश कुमार ने अवैध हथिया रखने का झूठा आरोप लगाया जबकि यादव के पास उनका अपना लाइसेंसी हथियार था। अभी दो दिन पहले ही नीतिश कुमार ने प्रभात ख़बर में विज्ञापन निकलवाया था - जीतो ऐसे कि देखे पुरा बिहार। भले ही नीतिश कुमार ने इस चुनाव में बेईमनिया की परंतु राजद - लोजपा ने दिखा दिया कि बैकवर्ड की राजनीती अभी ख़त्म नही हुई बल्कि शुरू हुई है। विस्तृत परिणाम कल

Tuesday, July 14, 2009

यादव समाज के जयचंद

यादवजी कहिन- बिहार में यादव समाज की अजीब दास्ताँ है। जो गरीब है, अशिक्षित है और असहाय है उन्हें लालू भागवान दिखते हैं। जो पढ़ लिखकर फारवर्ड बन गए हैं उनके लिए लालू रावण बन गए हैं। बिहार की जनता जानती है कि लालू और नीतिश दोनों चोर हैं लेकिन कोई भी लालू या नीतिश या फ़िर इनदोनों का खुलकर विरोध नही करना चाहता है। यादव समाज के बुद्धिजीवी जिन्हें मैं जनता हूँ ये सभी मतलब के यार हैं। मुझे दुःख तब हुआ जब इनमे से किसी ने भी यादव समाज के विकास के लिए कोई निस्वार्थ पहल नही किया है।

Monday, July 13, 2009

नीतिश ने बनाया एक और फारवर्ड को अपना सचिव

( यादवजी कहिन) कुर्मी मुख्यमंत्री ने फ़िर एक बार भुमिहारी प्रेम जगजाहिर करते हुए एक और भूमिहार चंचल कुमार को अपना सचिव बनाया है। खास ख़बर यह है कि चंचल कुमार नीतिश के चहेते हैं और इसी कारण जब नीतिश रेल मंत्री थे तब ओ एस डी के रूप में काम कर चुके हैं। इसके अलावा नालंदा में चचल कुमार दो बार डीएम रह चुके हैं।

नीतिश कुमार की दगाबाजी


(यादवजी कहींन) मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने घोषणा किया है कि १०००० दस हजार महादलितों को विकास सहयोगी मित्र बनाया जाएगा। प्रत्येक विकास सहयोगी को चपरासीगिरी के बदले में मात्र २००० रुपये प्रतिमाह मिलेंगे और वह भी अनुबंध पर। एक सच्चाई यह भी है कि न्यूनतम मजदूरी करीब १०५ रुपये है वाही एक महादलित को महीने में केवल २००० रुपये। यह दगाबाजी नही तो क्या है?

Sunday, July 12, 2009

नीतिश के पापो की पहली सूचि


नीतिश कुमार ने अपने दो बार के रेल मंत्रित्व काल में अपने लोगो को नौकरिया दी।


कुल नियुक्त्रिया - 231

कुर्मियों की संख्या - 152

भूमिहारों की संख्या - 32

पंडितो की संख्या - 8

राजपूतो की संख्या - 16

दलितों की संख्या - ३

मुसलमानों की संख्या - 4

यादवो की संख्या - २


नीतिश कुमार के अपने रिश्तेदारों की संख्या जिन्हें रेलवे में नौकरी दी गई -8

लालन सिंह के रिश्तेदारों की संख्या - 6


नालंदा और बाढ़ के लोगो की संख्या - 136


ख़ास ख़बर - लालन सिंह के एक रिश्तेदार ने दिल्ली में 57 लाख का घर लिया।


नीतिश के पापो की सूचि अब अगले बार



Saturday, July 11, 2009

फ़ारवर्ड का भेड़चाल

(यादव जी कहिन) कल के आलेख़ में लालू यादव पर जदयू और कांग्रेस के फ़ारवर्ड नेताओं द्वारा लगाया जा रहा यह आरोप कि लालू ने रैल्वे में मुनाफ़े को बढा चढा कर प्रस्तुत किया है का सच प्रकाशित किया गया। दो टके के नेता को यह पता नहीं है कि नीतिश कुमार ने अपने रेल मंत्रीत्व काल में जैक घोटाला से लेकर अपने घर के नौकर और बहनोई के भाई और उसके बच्चों को रेल में नौकरिया दीं। अपने अगले अंक में नीतिश कुमार के पापों की सूची जारी हम कल करेंगे





Friday, July 10, 2009

लोगो को गुमराह कर रहे नीतिश और ममता


(यादवजी कहिन) अपने मत्रीत्व्काल मे भारतीय रेल को घाटे से मुनाफ़ा दिलाने वाले पूर्व रेल मत्री लालू प्रसाद ने कहा है कि रेल के क्षेत्र मे उनके द्वारा किये गये प्रयासों से भारतीय रेल ने 20000 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया और इसी कारण नीतिश कुमार उनसे जलते है। राजद सुप्रीमो ने बताया कि ममता बनर्जी द्वारा यह कहा जाना कि भारतीय रेल के पास केवल 8361 करोड़ रुपया ही सरप्लस है तथ्य से परे है। इन्होने कहा कि माननीया रेल मन्त्री जी ने नौ जुलाई को सदन में स्वीकारा कि लाभांश पूर्व कैश सरप्लस 17400 करोड़ रुपया है तो अचानक यह घटकर 8361 करोड़ रुपये कैसे हो गया यह ममता जी ही बता सकती हैं। इन्होने यह भी कहा कि वर्तमान रेल मंत्री द्वारा बताया गया 8361 करोड़ रुपया का मुनाफ़ा केवल वर्ष 2008-09 का ही है जो लाभांश पूर्व कैश 17400 करोड़ रुपये सरप्लस मे से डिविडेंट लगभग 300 करोड़ रुपये और विकास निधि लगभग 17400 करोड़ के घटाने के बाद आया है। इन्होने बताया कि लाभांश पूर्व कैश सरप्लस और शुद्ध मुनाफ़ा दोनो अलग चीजें हैं जिसमे कन्फ़्युजन पैदा किया जा रहा है। सच्चाई है कि लाभांश पूर्व कैश सरप्लस मे पुरानी सम्पत्तियों को बदलने के लिये डिप्रिसिएशन फ़ंड में प्रावधान किया जाता है तथा डिविडेंट का भुगतान किया जाता है। इसमे से जो राशि बचती है उसे रेल्वे की नई परियोजनाओं के लिये कैपिटल फ़ंड और विकास निधि में रखा जाता है। डिविडेंट और विकास निधि का प्रावधान करने के बाद जो राशि बचती है उसे शुद्ध सरप्लस कहा जाता है।
लालू प्रसाद ने कहा कि ममता बनर्जी ने दिनांक 3 जुलाई 2009 को जब इस वर्ष का नियमित रेल बजट पेश करते समय इस तथ्य को स्वीकार किया है कि आर्थिक मंदी के कारण 2008-09 में लाभांश पूर्व कैश सरप्लस केवल 17400 करोड़ रुपये हो गया है। जिसके अनुसार पिछले सँभालना सालों का कुल लाभांश पूर्व कैश सरप्लस 88966 करोड़ रुपये आता है। इन्होने यह भी बताया कि वित्तीय वर्ष 2004-05 में लाभांश पूर्व कैश सरप्लस 11044 करोड़ रुपये, 2005-06 में 14849 करोड़ रुपये, 2006-07 में 20647 करोड़ रुपये, 2007-08 में 25006 करोड़ रुपये और वर्ष 2008-09 में 19320 करोड़ रुपये था। इस प्रकार पिछले पांच सालों में भारतीय रेल का लाभांश पूर्व कैश सरप्लस 90896 करोड़ रुपये रहा।
लालू प्रसाद ने चुनौती देते हुए कहा है कि कोई भी इन आंकड़ों को गलत साबित कर दे अन्यथा आम जनता को आंकड़ों को लेकर भ्रम न फ़ैलाया जाये। इन्होने कहा कि इन्होने प्रत्येक वर्ष लाभांश पूर्व कैश पूर्व सरप्लस का आंकड़ा सदन में पेश किया जो रेल्वे के वित्त आयुक्त के द्वारा बजट के दौरान तैयार किया गया था जिसे बाद में महालेखाकार द्वारा औडिट किया गया। इससे जुड़े सारे दस्तावेज रेल मंत्रालय के पास है जिसकी जांच कराई जानी चाहिये और श्वेत्पत्र में इसका खुलासा किया जाना चाहिये।


लालू ने किया यादव समाज का श्राद्ध भोज

कुछ पाठकों ने सवाल उठाया है कि लालू का यह आयोजन यादव समाज का श्राद्ध भोज कैसे है? मैं आप सबको बताना चाहता हूं कि लालू ने अपनी राजनीति पिछड़ों से शुरु किया था जो बाद में फ़ारवर्ड के जाल में फ़ंसकर रह गये और नतीजा हमारे सामने है। फ़ारवर्ड हमें गालियां दे रहे हैं और हम सुन रहे हैं। तो लालू का यह भोज यादव समाज का श्राद्ध भोज ही हुआ न? अपनी राय अवश्य भेजें।

यादव समाज को हराने पर नीतिश मना रहे जश्न

बिहार में पदस्थापित यादव वरीय पदाधिकारियों की सूचि

List of IAS officers of Yadav Samaj posted in Bihar
1 Dr. Virendra Kumar Yadav, IAS, District Magistrate, Madhepura
2 Sri Ajay Kumar Yadav, IAS, SDO, Triveniganj, Suapul
3 Sri Dharmendra Singh, IAS, SDO, Madhepua

List of IPS officers of Yadav Samaj posted in Bihar
1 Sri Raghuvansh Prasad Yadav, DIG, CID, Bihar
2 Sri Anil Kishor Yadav, SP, Katihar
3 Sri Umashankar Sudhanshu, Commandent, BMP-5, Patna
4 Sri Nagendra Prasad Singh, Commandent, BMP-5, Patna