Wednesday, October 6, 2010

पटना में जब नहीं मिलेगा पीने का पानी

From www.apnabihar.org
गंगा नदी के तट पर बसा पटना शहर के लोगों के जीवन का जलाधार मुख्य रुप से भूजल पर आश्रित है। मुख्य रुप से पटनावासी गहरे नलकूपों से निकाले गये पानी का ही उपयोग करते हैं। 70 के दशक में पटना का भूजल स्तर करीब 8 मीटर दूर था जो अब बढकर 14 मीटर के भी नीचे चला गया है। पिछले पांच सालों में इन आंकड़ों में जबर्दस्त गिरावट दर्ज की गई है। यह निश्चित रुप से पटनावासियों के लिये चिंता का सबब है। सबसे बड़ा सवाल है कि यदि अब भी पटना वासी जल का संरक्षण नहीं करेंगे तो निश्चित तौर पर वह दिन आने वाला है जब पटना में पीने का पानी नहीं मिलेगा।
यह चिंता केंद्रीय भूजल बोर्ड के मध्य पूर्वी क्षेत्रीय कार्यालय के वैज्ञानिकों ने जाहिर की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि पटना नगर निगम के करीब 100 वर्ग किलोमीटर के दायरे में जनसंख्या का घनत्व 13700 व्यक्ति प्रति किलोमीटर है। इस कारण इस क्षेत्र में भूजल का सबसे अधिक दोहन किया जा रहा है। इतिहास पर नजर डालें तो वर्ष 1950 से लेकर वर्ष 1970 के बीच पटना का भूजल स्तर 7.85 मीटर थी, वहीं वर्ष 1970 से लेकर 1990 के बीच यह बढकर 10.25 मीटर हो गई। वर्तमान में यह दूरी 14.1 मीटर को पार कर गई

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